Sunday, December 27, 2009

ऐ हमसफ़र

दूर से मिलीं आँखें
मुस्कुराहट फैली दिल में
दूर... पास होती गई
आँखों की दूरियाँ नज़दीक |

दिल उछल-सी गई उन आँखों की पोहोंच से
जब टकरा गई मेरी आँखों की गहराई से
उछली-सी, मैं शर्मा गई
दिल मेरा घबरा-सी गई |

ये पल हमेशा मुझे याद रहेगी -
मेरे दिल की धड़कन और तेज़ भागेगी
जब इस अनोखी पल को मैं याद करूंगी
ये पल, जो मैं कभी नहीं भूलूंगी
ऐ हमसफ़र ||

A dedication :)

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